सारे गांव में शोर मच गया
शोर मच गया...शोर मच गया
बच्चे भागे बूढ़े दौड़े
काहे का यह शोर मचा....?
शाम हुआ चौपाल लगी
शोर मचा क्युं बात चली
बंदर आए यह सुन सब जन
हंस-हंस कर बेहाल हुए....
मिट्ठू जी सुन लगे सोचने
कल मेरा स्कूल खुलेगा
बंदरों से मिलने का मौका
मुझको अच्छा वहां मिलेगा....
मिट्ठू नें कल्पना के घोड़े
दौड़ाए
स्कूल में एक स्टेज लगाया
सारे गांव को वहां बुलाया
“बंदर नाच” का शो लगाया...।
लोगों को यह बात बताई
बच्चों में अफवाह उड़ाई
स्कूल में कल लड्डू बंटने हैं
जो पहुंचें उनको मिलने हैं....।
हुआ सबेरा मुर्गा बोला
बच्चों का चंचल मन डोला
स्कूल जाने की करी तैयारी
लड्डु की मन ही मन जानी।
औरों से यह बात छुपाई
लड्डू ले क्यों करें लड़ाई
अपना हक बनता लड्डू पर
इसको मिल सब बांटे क्युं तब....।
जब बच्चे स्कूल आ गए
मिट्ठू जी ने राज यह खोला
आज बंदरो का नाच लगेगा
इस खातिर स्टेज सजा है...।
लड्डू की अफवाह उड़ी थी
ताकि सारे बच्चे आएं
अपने मन से खुशी-खुशी
बिना बुलाए...बिना बुलाए...।
मिट्ठू की सुन-सुन चालाकी
तब सारे बच्चे मुस्काए
बंदर नाच दिखेगा उनको
सुन सारे बच्चे चिल्लाए.....अरे
वाह ।
चार बंदर आएंगे
जोर-जोर से नाचेंगे
जमकर पूंछ हिलाएंगे
सबका मन बहलाएंगे...।
मिट्ठू के घर जाएंगे
खूब रोटियां खाएंगे
रोटी खा वे उछल-उछल कर
जमकर उधम मचाएंगे...।
मिट्ठू जी के पापा बोले
इतने बंदर कहां से आएं
मिट्ठू जी की मम्मी बोली
हम नहीं लाए..हम नहीं लाए..।
मिट्ठू जी की चाची बोलीं
इतने बंदर कहां से आए
मिट्ठू जी के चाचा बोले
हम नहीं लाए..हम नहीं लाए..।
मिट्ठू जी के दादा बोले
इतने बंदर कहां से आए
मिट्ठू जी की दादी बोली
मिट्ठू लाया..मिट्ठू लाया।
मिट्ठू जी की हुई कुटाई
हुई कुटाई..हुई कुटाई..
मिट्ठू जी की दादी बोलीं
मिट्ठू प्यारा बच्चा है..।
गलती हो गई माफ करो
बच्चे संग इंसाफ करो
बच्चों को बंदर प्यारे हैं
बात सहज स्वीकार करो.....।
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