आदिवाली अंचल में होली की तैयारियां जोरों पर
हैं। स्थानीय बाजारों में रौनक है। लोग जमकर खरीददारी कर रहे हैं। जिन लड़कों की
नई शादी तय हुई है, उसके परिवार वाले लड़की के पसंद के साड़ियां इत्यादि खरीद रहे
हैं। इसके साथ पीने-पिलाने का सिलसिला भी जोरों पर है। नौजवान लड़के-लड़कियां भी
बेफिक्री से महुआ पी रहे हैं।
अहमदाबाद और हिम्मत नगर आदि शहरों में काम करने वाले
लोग घरों को वापस लौट रहे हैं। इसके कारण शाम को महफिलें गुलजार हो रही हैं।शाम को पीने के बाद सभी परिवार के लोग गोल घेरें
में ढोल बजाते हुए नृत्य करते हैं। लड़कियां लैजम लेकर नृत्य करती हैं। होली
आदिवासी अंचल के प्रमुख त्योहारों में से एक है।
होली के साथ मेलों का सिलसिला भी
शुरु हो गया है। आने वाले दिनों में तमाम मेले लगेंगे। जिनका आयोजन कुछ दिनों के
अंतराल पर पूरे माह अप्रैल तक चलता रहेगा। मेलों में लोगों की अपने सगे-संबंधियों
और रिश्तेदारों से भेंट-मुलाकात होती है। लोग इसी बहाने एक दूसरे का हाल समाचार
जानते हैं। होली के दौरान खुले में हथियार लेकर घूमने के तमाम मामले आते रहते हैं।
इस सिलसिले में पुलिस गांवों में चौपाल का आयोजन करके लोगों को जागरूक कर रही है
कि अब आप लोग पढ़-लिख गए हैं। सभ्य हो गए हैं, खुले में तलवार इत्यादि लेकर घूमना
आपको शोभा नहीं देता।
ऐसे मौकों पर गांव के सरपंच और बाकी जनप्रतिनिधि
भी मौजूद होते हैं। वे भी अपने विचार रखते हैं ताकि शांतिपूर्ण तरीके से होली मने
और होली के रंग में मारपीट की भंग न घुले। होली का असर स्कूलों में बच्चों की
उपस्थिति पर भी दिखाई दे रहा है। यहां दस दिन पहले से होली की तैयारियां शुरु हो
जाती हैं। गांवों में ढोल बजने के बाद से बच्चे भी पढ़ाई-लिखाई को पीछे छोड़कर
होली के माहौल मे रंग गए हैं। वे स्कूल की मेजों औऱ प्लास्टिक की बाल्टियों को ढोल
की तरह पीटते दिखे। लड़कियां समूह में होली का नृत्य करने की अनुमति गुरु जी से
मांगती दिखीं। इन तमाम बातों से होली के महत्व का पता चलता है।
इसके साथ-साथ होली का सांस्कृतिक महत्व भी पता
चलता है कि कैसे लोग खान-पान, रहन-सहन, व्यवहार और समान सोच के साथ त्योहारों को
मनाते हैं। लोगों के साथ सामूहिक रूप से अपनी खुशी साझा करते हैं। बागड़ में होली
का त्योहार अपने सबाब पर है। हाइवे नं. आठ पर सवारियों का तांता लगा है। एक जीप पर
चालीस-चालीस लोग सवार होकर जा रहे हैं। उन्हें बस केवल गंतव्य तक पहुंचने की फिक्र
है। बाकी बातों से वे बेफिक्र हैं। रात को बारह-एक बजे तक ढोल की थाप औऱ लैजम के
साथ सामूहिक नृत्य होगा और कल से बाकायदा रंगों वाली होली की शुरुआत होलिक दहन के
बाद हो जाएगी।
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